धारा 11 (1) (1) के तहत, किसी भी जानवर को मारना या मरवाना, जिसमें ज़हरीले तरीकों या किसी अन्य अनावश्यक क्रूर तरीके से आवारा कुत्तों की हत्या करना शामिल है।
अब कुतिया के सिर्फ़ दो बच्चे बचे हैं, उम्मीद है कम से कम उन्हें बख्श दिया जाएगा..
स्थानीय चौकी प्रभारी हरि शंकर साहू को घटना की सूचना दे दी गई है ताकि दोषियों के विरुद्ध कानून की उचित धाराएं लगा कर कार्यवाही की जा सके..
पशुओं को जहर देकर मारना बहुत ही गलत काम है, लेकिन जिनके अंदर संवेदना नहीं है, वो ये बात नहीं समझ सकते। एक पढ़े-लिखे सभ्य समाज की ये पहचान नहीं है।
इन जानवरों से घृणा करने वाले भाई लोग, इस छोटे से कुत्ते की ज़ुबान से जो बोल नहीं सकता, इसके मन से, निकली हुई ये आवाज़ भी आप सबको इंसानियत नहीं सिखाती !
अगर कुछ खिला नहीं सकते तो कम से कम इनकी जान तो खाने में ज़हर डाल के मत लो…!!
अगर आप में से कुछ लोग इनसे डरते भी हो, सिर्फ़ इनके सामने एक डंडा ज़मीन पर मार कर आवाज़ करो और ये अपने आप आप से दूर चले जाएँगे और फिर आपके पास भी नहीं आएँगे। पर इन्हें मार कर घायल या ज़हर दे कर मत मारो !!
इन्हें भी जीने का अधिकार है।सबको अपनी जान प्यारी है!!
शहर की बाराबंकी सीमा पर मोहम्मदपुर चौकी क्षेत्र कोतवाली बाराबंकी के अंतर्गत स्थित शालीमार पैराडाइज
परिसर में बेजुबान कुत्तों को जहर देकर मारने का अमानवीय कृत्य कालोनी के निवासियों द्वारा प्रकाश में आया है।
शालीमार पैराडाइज जैसी सभ्य कालोनी में रहने वाले सभ्रांत लोगों के बीच
कतिपय कुत्सित मानसिकता वाले भी लोगो की वजह से इन बेजुबान पशुओं को जान से हाथ धोना पड़ रहा है।
हुआ यूं कि विगत सप्ताह एक बेजुबान गर्भवती कुतिया को जहर देकर मारने का अपराध किया गया है।
जांच पड़ताल करने पर पता चला है कि पहले भी अबोध पिल्लों को मारने के मामले में शालीमार पैराडाइज कॉलोनी में चर्चा में आ चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय कानून में बेजुबान पशुओं की सुरक्षा की व्यवस्था है। जिसकी धारा 428 एवं 429 के तहत पशु वध करने वाले को दो वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
बेजुबान कुत्तों को जान से मारने की घटनाओं को संज्ञान में लेकर प्रमुख पशु सेवी हॉटलिंक न्यूज डॉट कॉम व अन्य समाचार पत्रों ने शालीमार पैराडाइज का दौरा कर घटना की पड़ताल की।
पड़ताल के दौरान शालीमार पैराडाइज के प्रॉपर्टी मैनेजर जयकांत मिश्र से पूछताछ की गई तो उन्होंने घटना की छिपाने का प्रयास करते हुए कहा कि उन्हें किसी कुतिया के मरने की कोई सूचना नहीं है।
जब पत्रकारों ने उनसे कहा कि उनके पास पक्की सूचना है कि 28-29 मार्च को जहर देकर एक कुतिया को मारा गया है तब उन्होंने कहा कि शायद किसी हाउस कीपिंग स्टाफ को पता हो।
पत्रकारों ने जब जयकांत से हाउस कीपिंग स्टाफ से बात करवाने को कहा तो जयकांत ने झूठ बोल दिया कि स्टाफ जा चुका है, जबकि बाद में स्थानीय शालीमार निवासी ने बताया कि स्टाफ मौजूद था।
इस कुतिया के पूर्व अन्य चार कुतिया के बच्चों को भी कुछ दिन पहले किसी ने इसी तरह खाने में जहर डाल के मार डाला। बेजुबान पशु बेचारे समझ भी नहीं पाए कि प्यार से खाना देने वाले इंसान ने खाने में जहर डाल दिया है।
पशुओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए प्रशासन की मदद से इनके बंध्याकरण (sterilize) कराया जा सकता है। लेकिन पशुओं को जहर देकर मारना अशिक्षित और असभ्यता का ही नहीं बल्कि क्रूरता का और अमानवीयता का प्रतीक है।
ये बेवजह भी आपके पास आ कर आपसे प्यार करते है। खेलना चाहते है, कभी रुक कर इनकी आँखो में तो झांक के देखो।अगर आप कुछ अच्छा खाने को देते है तब भी इनकी आँखों में प्यार देखो, कैसे अपनी पूँछ हिला कर अपना प्यार जताते हैं।
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